बादलों की छुपन छुपाई, आसमां में थिरकता चाँद, ‘फॉरएवर इन लव’ की धुन और इन सबकी साक्षी ‘वो’ - कुरेदती रही दिल-दिमाग-मन कहीं से तो फूटे सोता प्रेम का या किसी कोने में अब भी बचा हो इश्क़ एक कतरा ही सही- हर खोज मुकम्मल हो लेकिन ये ज़रूरी तो नहीं। काश! ज़िन्दगी कोई साज होती, जिसे वो साध लेती यहाँ ज़िन्दगी तो रस्सी है, संतुलन बनाना आसान कहाँ ! ‘फॉरएवर इन लव’ की धुन पर नाचता चाँद भी आखिर डूब गया… अँधकार का ये संगीत ‘केनी’ के सैक्सोफोन की धुन से ज़्यादा मादक था । © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’