बहुत दिनों से कुछ नहीं लिख सकी ऐसा नहीं था की लिखने की चाहत नहीं थी , वास्तव में कुछ समय की कमी और थोड़े से आलस ने मुझे ब्लॉग लेखन से दूर कर दिया था। हर दिन सोचती थी की आज ये लिखूंगी आज वो लिखूंगी, लेकिन जब ऑफिस पहुँचती तो काम के सिवा कुछ याद नहीं होता था और घर पहुँचने के बाद थकान से कुछ याद नहीं रहता । शनिवार का दिन भी आम दिन की तरह ही था। मैंने अपने प्रोग्राम के कवर स्टोरी के लिए कुछ लोगों से बातें की हुई थी । शूट के लिए करीब एक बजे निकली। रास्ते में ही तय किया की शूट ख़त्म करने के बाद कनात प्लेस में जाकर कुछ जनरल शॉट्स बनायेंगे और अपना पीटीसी भी वहीं सेंट्रल पार्क में करेंगे । स्टोरी शूट में ही देर हो गई और कनात प्लेस पहुँचने में पौने पाँच बज गए । वहां पहुँच कर हमलोगों ने शूटिंग शुरू कर दी । हमें थोड़ा आश्चर्य ये हो रहा था की आमदिनों के मुकाबले उस दिन भीड़ थोडी कम थी। मैंने अपने कैमरामैंन से भी कहा की आज भीड़ कम है। छः बजे मेरे भाइयों का फोन आया, वे मुझे पिक करने सीपी ही आ रहे थे। मैंने उस दिन का शूट कैंसिल कर दिया, और दूसरे दिन के लिए तय कर दिया। मुझे क्या पता था की ये मेरा सौभाग
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’