१. मेट्रो की ज़िन्दगी कंक्रीट का जंगल मशीन से लोग खोजती रही खुद को दिख रही थी दूर तक सिर्फ धुंध । २. परेशानियों के थपेड़े यादों की रेत से बहा ले गए कई अनमोल पल शेष रह गया तो सिर्फ तुम्हारे प्यार का मोती जो अब भी बंद है मन की सीपी में कहीं। © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’