ए क ज़िंदगी में न जाने कितने रंग समाहित है । ज़रूरत है उन रंगों को संवारने की , सजाने की। पूरा जहां रंगों से सजा हुआ है , आकाश , पेड़ - पौधे , नदियां , फूल , तितलियाँ … सुखद लगता है प्रकृति में बिखरे इन रंगों को देखना, उनसे खेलना। ऐसा महसूस होता है कि दिल की सारी बातें पेंटिंग के ज़रिये अभिव्यक्त की जा सकती है । जब प्रकृति की खूबसूरती को देखती हूँ तो इच्छा होती है कि बस उन्हें कैनवास में कैद कर लूँ, पर अफ़सोस की मेरे पास चित्रकारी का हुनर ही नहीं है। वैसे देखा जाए तो ये धरती एक कैनवस ही तो है ..... जिसपर प्रकृति की तस्वीर बड़े ही प्यार से उकेरी गयी है। हर रंग की अपनी अहमियत। आजकल मेरी कल्पनायें बेलगाम होती जा रही हैं। आँखों में सतरंगी सपने युवा दिल जोशीला समुद्र सा उफनता हुआ ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है मोनालिसा की तरह। © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!