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Showing posts from March 29, 2015

शेष (क्षणिका)

कुछ पीले, उदास दिन, चंद खामोश, डूबती शामें, अनगिनत जागती रातें, और... सफ़ेद, संदली, सुबह का इंतज़ार - ज़िन्दगी के पन्नों में, अब यही तो शेष है । © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!