आइएनए स्थित दिल्ली हाट समय व्यतीत करने की एक अच्छी जगह है। हाथ से बनी हुई सुन्दर कलाकृतियाँ हों, खादी, सूती या सिल्क के कपडे हों या फिर घरों को सजाने के लिए विभिन्न साज-सज्जा की वस्तुएं सब कुछ एक जगह, वहाँ उपलब्ध होता है। एक ही सामान की कई दुकानें हैं, बस मोल-तोल करते हुए आगे बढ़ते जाना है। खरीदारी करते हुए यदि भूख लग गयी तो वहाँ विभिन्न राज्यों के स्टाल्स लगे हैं जहां से उस राज्य के विशेष पकवान का मज़ा लिया जा सकता है। दिल्ली हाट के बारे में लगभग सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको यह पता है कि वहाँ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को समर्पित एक संग्रहालय भी है। संयोग से हम वहाँ पहुंच गए। हुआ यूँ कि दिल्ली हाट में घूमते और चीज़ों की मोल-मोलाई करते हुए हम दिल्ली हाट के आखिरी दूकान तक पहुंचे, जहां एक छोटा सा बोर्ड लगा था, ‘कलाम स्मारक’ में जाने का रास्ता। रास्ते को तीर से प्रदर्शित किया गया था। हमने दुकानदार से पूछा “ये कलाम स्मारक क्या है भाई और जाने का रास्ता किधर है?” उसने “नहीं पता” कह कर अपना सिर ‘ना’ में हिला दिया। हम तीर की दिशा में बढ़ चले। दिल्ली हाट के दरवाज़े से बाहर न
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’