गौरैया हर रोज़ तिनका चुन कर लाती है- मेरे घर के छज्जे पर एक घोंसला अब तो बन चुका है उनमें छोटे छोटे अंडे भी हैं गौरैया दिन भर उन्हें सेती है , चंद रोज़ बीते - और ... आज चूजे भी निकल आए । गौरैया अपने बच्चों के लिए खाना लाती है, उनकी चोंच में डालकर फुर्र से उड़ जाती है । हमारा घर चिडियों का खेल्गाह बना हुआ है । धीरे धीरे गौरैया बच्चों को उड़ना सिखाती है- गिरते - सँभलते वे भी उड़ना सीख लेते हैं, और फिर एक दिन फुर्र ... घर का छज्जा फ़िर वीरान हो गया ।
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’