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Showing posts from June 22, 2008

नम हुई आंखें

अभी कुछ दिन पहले ही एक अखबार के छोटे से कॉलम में पढ़ी की बिहार के किशनगंज की रहने वाली एक महिला को उसके पति ने ही दिल्ली में बेच दिया । वो तो उस महिला की बहादुरी थी और एक संस्था की दिलेरी जिससे वो महिला अपनी अस्मत बचाने में कामयाब रही। हालाँकि अन्य अखबारों या खबरिया चैनलों में इसकी चर्चा मुझे दिखी नहीं। शायद उनके लिए ये बड़ी ख़बर नहीं थी क्योंकि अब तो ऐसी घटनाएं आम हो गई है। मेरा ध्यान इस कॉलम की ओर इसलिए गया क्योंकि इस घटना से कुछ दिन पहले ही मुझे इस विषय पर काम करने का मौका मिला था। उस दौरान मेरी मुलाक़ात इसी संस्था के संचालक से हुई थी जो लंबे समय से लड़कियों और महिलाओं को खरीद फरोख्त से बचाने और उन्हें सशक्त करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया की कैसे लड़कियों की खरीद फरोख्त में एक पुरा गिरोह काम करता है। ऐसे गिरोह के चंगुल में ख़ासतौर पर वैसे लोग या वैसे परिवार फंसते हैं, जो बेहद गरीब होते हैं , जिनके घर में बेटियाँ ज़्यादा होती हैं। दिल्ली, मुंबई, हरियाणा,जयपुर और आगरा में इनके ग्राहक ज़्यादा होते हैं। सवाल उठता है लडकियां लायी कहाँ से जाती हैं? एक अध्ययन से ये बात सामने