बेरंग जहां रोशन कर गया आँखों का दान ----------- जागती आँखें चाँद पाने की ज़िद उंघते ख्वाब ------------ छलके शब्द नैन करे संवाद एक लौ दिखी ------------ चार थे नैना चश्मा घर में छूटा सब धुंधला ----------- राज़ खोल दी दिल में दफ़न था आँखें बोल दी ----------- सीमा से परे उड़ने को तत्पर नैन परिंदे ------------ जूझते रहे आँखों ने सिखाया था शूल हैं फूल © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’