वो शाम याद करो जब मैं हार कर रो रही थी। तुमने कहा था उठो, लडो और आगे बढ़ो मैं लड़ी और आगे बढ़ी तुमने कहा और आगे बढ़ो मैं और आगे बढ़ी मैं आगे बढ़ती गई और अब तुम कह रहो हो वापस आ जाओ क्या सम्भव है वापस आ पाना।
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’