घन छाया नभ में अभी अभी बादल गरजे है बार बार। अब गरज गरज बरसे है घन धरती भींगी है झूम झूम तरुणी भाई है ये धरती वरुण भी हुआ है तरुण अभी । हवा के झोंके धरती को चूम चूम करते हैं प्यार तब झूम झूम नाचे है मन का मयूर बार बार। नवयुवती सी ये धरा रहे खिली खिली जब पड़े फुहार। सब कहे इस नवयुगल को बस प्यार प्यार, बस प्यार प्यार।
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’