ती न मंज़िल वाले मकान के दूसरी मंज़िल पर स्थित है मेरा छोटा सा फ्लैट. फ्लैट्स आपस में इस तरह से जुड़े हुए हैं कि ऊपर वाले या नीचे वाले फ्लैट में सामान्य आवाज़ में भी बातें कि जाए तो हमारे फ्लैट में स्पष्ट सुनायी देती है. हम अपने किचन में काम करते रहते है...और हर फ्लैट कि ख़बर हो जाती है कि कहाँ क्या हो रहा है. हमारे फ्लैट के बिलकुल ऊपर वाले फ्लैट में जो परिवार रहता है उसमें पति पत्नी और दो बच्चे शामिल है. सनी बेटे का नाम है तीन या चार साल का होगा. मई में उस परिवार में परी का आगमन हुआ है. पहले अक्सर उस घर से ज़ोर ज़ोर से झगड़ने कि आवाजें आती रहती थी. कभी कभी तो उनकी वजह से हमारी नींद खराब हो जाती थी. परी के आने के बाद से माहौल में थोड़ी शान्ति है. बस सब उस में ही व्यस्त रहते है... परी को ये चाहिए... परी को वो चाहिये. सुनकर (देख नही पाती) अच्छा लगता है कि घर में बेटी का आना वहाँ के लिये सुखद है. बि लकुल नीचे वाले फ्लैट में एक बुजुर्ग दंपत्ति रहते है. अंकल कि उम्र क़रीब पचहत्तर साल होगी. उन्हें ऊँचा सुनायी देता है. पोपली ज़ुबान है उनकी. आंटी चिल्ला चिल्ला कर उनसे बात करती है... औ
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’