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Showing posts from March 16, 2014

बंधन ..

कई रिश्तों में बाँधने की कोशिश की थी मैंने - तुम्हे. भूल गयी थी, हर रिश्ते का सिरा जुड़ा है उस मंज़िल से जिसकी बुनियाद ही कमज़ोर पडी है. यूँ लगता है जैसे गुज़रते ज़ीस्त के साथ ये रिश्ता भी ना गुज़र जाए कहीं ... © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!