मैं आजाद हूँ नहीं पर दिखती हूँ । मैं भी उड़ना चाहती हूँ, असीम - अनंत आकाश में । आजाद होना चाहती हूँ, भावनाओं के बंधन से, कर्तव्यों से, जिम्मेदारियों से, अपने आप से । पर सच है कि मैं आजाद हूँ नहीं दिखती हूँ ।
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’