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Showing posts from July 19, 2015

खजाना

सुनो, साँझ के दस्तक देते ही हर रोज़ मेरी खातिर जो तोड़ लाते हो वक़्त की सुनहरी लड़ियाँ सहेजती जाती हूँ उन्हें मैं बड़े ही जतन से, एक बात कहूँ- मेरी साँसों का साथ निभाने के लिए ये खजाना पर्याप्त है! © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!