आज कल हिंदी धारावाहिकों में भूलने का मौसम है. जिसे देखो अपनी याददाश्त ही खो बैठा है. चाहे स्टार चैनल पर आने वाला धारावाहिक "ससुराल गेंदा फुल" का इशांत हो , कलर्स के धारावाहिक "लागी तुझसे लगन" की नकुशा हो, स्टार वन का धारावाहिक " प्यार की ये एक कहानी" की पिया हो या फिर जी पर आने वाला धारावाहिक "संजोग से बनी संगिनी" का रूद्र हो. सब के सब याददाश्त खो चुके हैं. हाँ रूद्र की याददाश्त तो वापिस आ चुकी है लेकिन ईशांत, नकुशा , पिया ये सब अपनी पिछली बातों को याद करने के लिए संघर्षरत हैं. इन किरदारों को देखकर लगता है की याददाश्त जाना और आना कितना आसान है. बस सिरिअल्स बनते रहे और हमारा मनोरंजन होता रहे. © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’