"परी ने जैसे ही छड़ी घुमाई कद्दू रथ बन गया। छोटे- छोटे चूहे रथ के घोड़े बन गए। परी ने छड़ी घुमाई और सिंड्रेला की फटी पुरानी ड्रेस सुंदर, राजकुमारियों के गाऊन जैसी हो गई। देखते ही देखते सुंदर चमचमाती चांदी की जूतियां सिंड्रेला के पैरों में थीं। सिंड्रेला खुशी से नाच उठी।" "मम्मा परी कैसी होती है?" "परी…उम्म... बिल्कुल तुम्हारी तरह" "नो मम्मा परी आपकी तरह होती है। मेरी तरह तो सिंड्रेला…। मम्मा आगे की कहानी बताओ न?" पायल ने बिन्नी के माथे पर हाथ फेरते हुए पूछा "क्यों मैं कैसे परी हुई ?" " पलक झपकते आप मेरी हर विश पूरी नहीं करतीं?" पायल हंसते हुए उसे गुदगुदी लगाने लगी। दोनों खिलखिलाने लगीं। बिन्नी एक साल की भी नही थी जब प्रेम की मौत हो गई थी। बिन्नी प्रेम की इकलौती निशानी थी। उसकी तोतली बोली पायल की ज़िन्दगी से सारी कड़वाहट मिटाकर मिठास घोल जाती। उसकी हँसी अँधेरे जीवन में उजास भर जाती। कभी वह उदास होती बिन्नी अपनी नन्ही हथेलियों से उसका माथा सहलाने लगती और सच में उसकी सारी थकावट, सारी उदासी उड़न-छू हो जाती। वह घंटो टकटकी लगाए बिन्न
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’