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Showing posts from April 10, 2011

चाय कि चुस्की ऑर ढेर सारे सवाल

दिल्ली के घर में सुबह चाय कि पहली चुस्की पर कोई मेरे साथ होता है तो वो है मेरी काम वाली " मीनू" । चाय पीते पीते बहुत सी बातें हो जाती हैं । कुछ उसकी कुछ मेरी... कभी कभी उसकी समस्याओं को सुलझाने कि कोशिश भी करती हूँ कभी सिर्फ सुन कर रह जाती हूँ। मीनू अकेले रहती है.... अशिक्षित बंगाली महिला... जो ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाती है... तीन बेटियां है उसकी , उनके साथ वो एक रूम के घर में रहती है। हालाँकि उसकी बातों से कभी बेचारगी नहीं झलकी ... पर एक सच जो उसे अक्सर बीमार बना देता है वो है उसका पति .... वो किसी दूसरी औरत के साथ यही दिल्ली में ही दूसरी जगह रहता है। मैंने मीनू से पूछा कि क्यों नहीं वो उसके साथ रहती है .... मीनू का कहना था कि जब भी वो आया मुझे माँ बनाकर किसी और के साथ भाग गया। अब तीन बेटियां मेरे लिए बहुत है , इन्हें पालना ही मुश्किल होता है दीदी । बड़ी बेटी तेरह साल कि हो चुकी है । हमारे गाँव के ही लोग है वो उसके लिए रिश्ता लेकर आये थे। मैंने बात काटते हुए कहा तेरह साल में शादी आपका दिमाग ख़राब हो गया है। जो आप झेली है वो उसको क्यों झेलवाना चाहती हैं। अभी उसे पढ़ाईये ।