Skip to main content

Posts

Showing posts from September 30, 2007

स्कूल कि यादें

नीले आकाश में यादों का पंछी उड़ता चला जाता है और याद आता है मेरा स्कूल और नीम का वो पेड ईमली के पत्ते और बेल से लदे पेड़ फूलों की क्यारी मिटटी कि गलियारी टीचर कि डांट आलू का चाट होम्सईन्स की घंटी में हमारी नौटंकी डांस के पीरियड मे स्कूल से भागने की टंटी मुझको तो याद है प्यार की वो रेल पेल क्षण में झगड़ना और क्षण में मेल । आम के टीकोले हम थे कितने भोले बिल्कुल मंझोले । बादाम का वो पेड छत का खपरैल टबिल टेनिस का खेल बिर्जा जीजी का जेल । टिफिन मे कबड्डी अचार की छीना झपटी आपस मे लड़ना फिर सबको मनाना रोना और रुलाना फिर हँसना हँसाना क्या भूल सकना आसान है बिता वो जमाना ?

अरमां

ऊंचे पर्वतो से बादलों को टकराते देखा सागर की लहरों को बार बार तट पर आते देखा दिल मे एक अरमान जागा काश। मैं बादल होती और तुम पर्वत या फिर मैं लहरें होती और तुम किनारा।

संदेश

सर्द हवाएं बहती है कानों में कुछ कुछ कहती है ना हार कहीं तुम रूक जाओ ऐसा वो संदेशा देती हैं । चट्टान को देखा है तुमने कितने ही वारों को सहता पर फिर भी अपने जड़ पर पल पल प्रतिपल है डटा रहता ।

यादें

मेरा घर मेरे अपने और वो मीठी बातें चाय की चुस्कियों के साथ जब कटती थी दिन और रातें यादें और बस यादें । मेरा कमरा मेरा बिस्तर और वो दीवारें जिसके इस पार और उस पार सजती थी ढेरों तस्वीरें बार बार मेरी बगिया इस बार कह रही थी बार बार करो मेरा श्रृंगार फिर से करो मेरा श्रृंगार । माँ की झिड़की पापा का ग़ुस्सा क्यो याद आता है बार बार ।