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Showing posts from July 27, 2014

संतुलन (हाइगा)

जीवन मर्म संतुलित कदम सिखाते नट © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

यादें

तुम्हारी तरफ से आती हुई पुरवैया के लिए खोल दिया मैंने अपने घर के सभी दरवाज़े -झरोखे इस चाहत में कि उस गुलाबी हवा की थोड़ी सी रंगत स्वयं में समाहित कर सकूँ हवा में तैरती नमी को भी महसूस कर सकी मैं देर तक जाने कब वो नमी बूँद बनकर छलक आई गालों पर…   © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित! 

बूँद (चोका )

बारिश में भीगते हुए उपजा एक  ख्याल ----- प्रेम बरसा जन्मी - नन्ही सी बूँद नवसृजन प्रेम में भीगी बूँद बदला रूप पिघलती रही थी कतरे में ’वो’ बूँद। © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

कल्पना

लाल बुरांश बिखरी है कल्पना सूर्ख अल्पना © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!