मेरा घर
मेरे अपने
और वो मीठी बातें
चाय की चुस्कियों के साथ
जब कटती थी दिन और रातें
यादें और बस यादें ।
मेरा कमरा
मेरा बिस्तर
और वो दीवारें
जिसके इस पार और उस पार
सजती थी ढेरों तस्वीरें बार बार
मेरी बगिया इस बार
कह रही थी बार बार
करो मेरा श्रृंगार
फिर से करो मेरा श्रृंगार ।
माँ की झिड़की
पापा का ग़ुस्सा
क्यो याद आता है बार बार ।
मेरे अपने
और वो मीठी बातें
चाय की चुस्कियों के साथ
जब कटती थी दिन और रातें
यादें और बस यादें ।
मेरा कमरा
मेरा बिस्तर
और वो दीवारें
जिसके इस पार और उस पार
सजती थी ढेरों तस्वीरें बार बार
मेरी बगिया इस बार
कह रही थी बार बार
करो मेरा श्रृंगार
फिर से करो मेरा श्रृंगार ।
माँ की झिड़की
पापा का ग़ुस्सा
क्यो याद आता है बार बार ।
Comments
whenever u remember those things i sure u always remember me.
cheers
keepit up
bye
Accept my heartiest greets for your Blog.
-Gunjan