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'आएशा' के बहाने से...

2010 में एक फ़िल्म आयी थी 'धोबी घाट'। चार किरदारों वाली इस फ़िल्म का एक किरदार मर चुकी हुई यास्मीन होती है जिसकी  वीडियो डायरी के ज़रिए उसकी कहानी आगे बढ़ती है।  पति की बेवफाई से तंग आकर अंतिम वीडियो में वह खुदकुशी कर लेती है। सारे किरदार अनूठे थे पर यास्मीन, नहीं होकर भी उसकी उपस्थिति...मार्मिक अंत...दुखद था। 
दो-तीन दिनों से आएशा का वीडियो देख रही जो वायरल है। आत्महत्या से पहले रिकॉर्ड की गई बातें। क्या अच्छा नहीं होता आएशा ऐसे ही वीडियो के ज़रिए अपने पति को एक्सपोज़ करती। उसे सजा दिलवाती। तुमने ये वाला रास्ता क्यों चुना आएशा?
जाने क्यों आएशा के इस वीडियो को देखकर मुझे धोबी घाट की यास्मीन याद आ गयी। फ़िल्म तो सिर्फ दो-तीन घण्टे में खत्म हो जाती है और वास्तविक घटनाएं जीवन भर का मलाल दे जाती हैं। 
आएशा कितनी अकेली होगी, कितना परेशान रही होगी, जो उसने उसका चुनाव किया जिसका अधिकार हमें नहीं है। आएशा...काश! तुम ने खुद को थोड़ा और वक़्त दिया होता।

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