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पुनर्जन्म










अब जानना चाहते हो
मेरी मौत का कारण ??
याद नहीं-
सड़ी गली रिवायतों  की 
बोझिल मान्यताओं  की
लिजलिजी सोच की
आडम्बरयुक्त  रिश्ते की
ज़िम्मेदारियों के बोझ की
ज़हरीली घुट्टी
तुमने ही तो पिलाई थी।
बचपन में ही
मेरे कोमल मन पे
गोदा था तुमने
दकियानूसी तालीम को,
दर्द से कराही थी मैं
रोना भी चाहती  थी
लेकिन ज़हर के असर ने
छीन लिया था हक़ -
रोने का
सवाल पूछने का
अपनी बातें कहने का
आज़ादी की सांस लेने का।
मैंने भी समेट लिया खुद को
अपने ही खोल में
तुम सब मेरी हंसी देखते रहे
लेकिन वो तो खोखली थी
मै तुम्हारे पास बैठ कर सुडोकु खेलती
पर  दिमाग तो उलझा था ज़िन्दगी के जाल में
मैं अभी मरना नही चाह्ती थी 
कई अरमान थे जिन्हें पूरा करना था
कई ख्वाब थे जो अब अधूरे ही रहेंगे
सच कहूँ -
मुझे मौत देनेवाले तुम्ही हो - तुमसब ।।


--------------प्रियम्बरा

© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!

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