प्रवासी भारतीय सम्मलेन के दौरान मेरी मुलाक़ात अमेरिका में वकालत कर रही एक महिला से हुई. हालांकि वे रहनेवाली भारत की ही थी लेकिन दस साल पहले वे अमेरिका में बस गयी . उनसे हमनें बहुत सी बातें की कुछ उनके कार्यों के बारे में कुछ भारत और अमेरिका की कार्यप्रणाली में अंतर को लेकर... ऐसी ही ढेरों बातें हुई. उन्होंने भी बड़ी ही जिंदादिली से सभी प्रश्नों का जवाब दिया. हालाँकि यहाँ की अव्यवस्था से वो थोड़ी क्षुब्ध ज़रूर नज़र आई.... लेकिन हमारी बातें चलती रही. तभी एक और सज्जन आये और हमारी बातचीत में शामिल हो गए . वे भी भारत भ्रमण पर ही थे ... नमस्ते के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ . बातें होती रही तभी महाशय ने महिला वकील से पूछा की आपकी शादी हो चुकी है उन्होंने कहा हां... फिर महाशय ने पूछा की पतिदेव क्या करते हैं... महिला का जवाब था " क्या मैंने आपसे आपकी पत्नी के बारे में पूछा ... नहीं ना , फिर आपको क्यों इतनी जिज्ञासा है मेरे पति को लेकर और मैं क्यों बताऊँ की मेरे पति क्या करते हैं." ये सारी बातें उन्होंने चेहरे पर मुस्कराहट के साथ कही.... वो साहब का चेहरा देखने लायक था. बस दो मिनट वे वहां बैठे रहे फिर वहां से चल पड़े. उनके जाने के बाद महिला का यही कहना था की यही प्रोब्लम है यहाँ... सबको सबके व्यक्तिगत मामले में ज्यादा रूचि है. अब मैं इन्हें क्यों बताऊँ की मेरे पति कौन है , कहाँ है, क्या कर रहे हैं. मैं बस मुस्कुरा दी.
सच ही तो है... यहाँ सभी को, सभी के, व्यक्तिगत मामले में ज्यादा रूचि रहती है. अगर शादी नहीं हुई है तो... अरे अब तक शादी नहीं हुई.... जल्दी कर लो... क्या उम्र है.... अरे इतनी उम्र हो गयी अब तक तुमने शादी नहीं की... मतलब की कोई बड़ा क्राइम हो गया शादी नहीं करना और अगर शादी कर ली तो पति कहाँ हैं... क्या करते हैं..... कैसे है.... इत्यादि इत्यादि... मतलब आपसे व्यक्तिगत सवाल होंगे ही और आप " नो पर्सोनल क्वेश्चन प्लीज़ " भी नहीं कह सकते .
© 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
Comments