४ जून से एक और अभियान भ्रष्टाचार के खिलाफ. इस बार बाबा रामदेव ने कमर कसी है. हालाँकि उनके अनुयायियों की कमी नहीं है लेकिन एक बात जो आशंकित करती है वो ये की क्या इन आंदोलनों का कुछ असर होगा . हालाँकि इस आन्दोलन को लेकर केंद्र सरकार की घबराहट दिख रही है लेकिन एक बात हमेशा परेशां करती है की आम आदमी का क्या होगा ? कभी कभी ये सवाल भी मन में उठता है की आखिर जब इतने सारे और ऐसे लोग इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं फिर भी भ्रष्टाचार आखिर जिंदा कैसे है ?
कोई भी सरकारी काम हो बिना पैसे दिए काम नहीं हो सकता . यहाँ तक की पिछले दिनों जब मैं घर गयी थी ... दुगुना भाडा देकर एक दलाल से ट्रेन की टिकेट खरीदी . यानी कही ना कही मैंने भी भ्रष्टाचार में योगदान दिया और इसका मुझे बेहद अफ़सोस है. ऐसे ही बहुत से लोग छोटी छोटी जगहों पर किसी न किसी तरीके से भ्रष्टाचार को सपोर्ट करते हैं तभी तो वो इस कदर जकड़ा हुआ है जिसे निकाल पानें में शायद वर्षों लगेंगे.
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