बहुत दिनों से कुछ लिख नही पाई । कारण बहुत से है ... पर सबसे आसान जवाब है समय की कमी। व्यस्तता थोडी बढ़ गई थी । ऑफिस में काम से फुर्सत नही मिलता था ... घर पर थकावट कुछ लिखने नही देती थी। आज सारे काम निपट चुके हैं , कार्यक्रम का आउट चल रहा है। सोचा लगे हाथ क्यों ना कुछ लिख डालु। शनिवार की शाम यानी अभी ऑफिस के ज्यादातर लोग जा चुके है सिर्फ़ जिनका काम है या फ़िर लाइव वाले लोग रुके हुए हैं । मैं अपने काम से परेशान हूँ एपिसोड अभी तक आउट नही हो सका है । दो बार आउट लगा चुकी , कुछ ना कुछ प्रॉब्लम हो रहा है। इन्ही सब उलझनों में फंसी मैं... जाने कब अपनी सोच में उलझ गई पता ही नही चला।
छोटी ... मेरी सबसे अच्छी दोस्त ... जो कभी मेरे सबसे करीब थी । मेरी बहुत सी बातें जो सिर्फ़ वो जानती थी और उसकी बहुत सी बातें शायद सिर्फ़ मैं जानती थी। आज मुझसे कितनी दूर ... या शायद आज हमदोनो अजनबी बन चुके हैं। उसने ग्रीटिंग्स में लिखा था की जब मैं समय को पकड़ लूंगी तब हमदोनो साथ होंगे। आज न जाने कितने साल गुज़र चुके हैं ... हमदोनों की मुलाक़ात नहीं हुई। घर पर रहने के बावजूद ना वो मुझसे मिलने आई ना मुझे कुछ ख़ास इक्षा हुई उससे मिलने की। आज उसकी शादी हो चुकी है... अपने वैवाहिक जीवन में वो व्यस्त है और मैं अपनी नौकरी में उलझी हुई हूँ। बहुत सी खट्टी मीठी यादें हैं ... हमारी और उसकी जो मैं कभी नहीं भूल सकती। मैं जब भी परेशान होती थी कभी अपनों से गुस्सा होती थी तो उसी के पास जाकर अपना भडास निकालती थी।
यार छोटी आज मैं बिल्कुल अकेली हूँ। अब तो मैं डायरी भी नहीं लिखती... तेरी याद आती है । कभी कभी तो बहुत ज्यादा .... मुझे नहीं पता क्यों ...तू इतनी दूर हो गई... फ़िर भी क्यों पता नहीं क्यों ।
छोटी ... मेरी सबसे अच्छी दोस्त ... जो कभी मेरे सबसे करीब थी । मेरी बहुत सी बातें जो सिर्फ़ वो जानती थी और उसकी बहुत सी बातें शायद सिर्फ़ मैं जानती थी। आज मुझसे कितनी दूर ... या शायद आज हमदोनो अजनबी बन चुके हैं। उसने ग्रीटिंग्स में लिखा था की जब मैं समय को पकड़ लूंगी तब हमदोनो साथ होंगे। आज न जाने कितने साल गुज़र चुके हैं ... हमदोनों की मुलाक़ात नहीं हुई। घर पर रहने के बावजूद ना वो मुझसे मिलने आई ना मुझे कुछ ख़ास इक्षा हुई उससे मिलने की। आज उसकी शादी हो चुकी है... अपने वैवाहिक जीवन में वो व्यस्त है और मैं अपनी नौकरी में उलझी हुई हूँ। बहुत सी खट्टी मीठी यादें हैं ... हमारी और उसकी जो मैं कभी नहीं भूल सकती। मैं जब भी परेशान होती थी कभी अपनों से गुस्सा होती थी तो उसी के पास जाकर अपना भडास निकालती थी।
यार छोटी आज मैं बिल्कुल अकेली हूँ। अब तो मैं डायरी भी नहीं लिखती... तेरी याद आती है । कभी कभी तो बहुत ज्यादा .... मुझे नहीं पता क्यों ...तू इतनी दूर हो गई... फ़िर भी क्यों पता नहीं क्यों ।
Comments
Navnit Nirav
meet
tera mela pichhe chuhuta rahi ...