'स्लम डॉग मिलिनेअर' फ़िल्म में काम कर के प्रसिद्धि पा चुकी रुबीना अचानक से कल फ़िर टीवी चैनेल्स पर छाई हुई थी ... कारण बताने की ज़रूरत नही... जिसने भी चैनेल्स को देखा होगा या आज सुबह का अखबार पढ़ा होगा उसे पता होगा। उस नन्ही सी कलाकार के माता पिता पर अपनी बेटी को बेचने का आरोप लगा है। किसी ने भी ख़बर के तह में जाने की कोशिश नही की। रुबीना के फोटो को भी खुलेआम दिखाया गया कुछ चैनेल के पास तो उसके शॉट्स भी आ गए थे... और ज़्यादा स्तरीय बनाने के लिए उसके पिता को लाइन अप कर के उनसे सवाल जवाब शुरू कर दिया ...किसी ने ये सोचने की ज़हमत नही उठाई की ऐसा करने से उस लड़की और उसके पिता की क्या हालत होगी । एक बात मेरी समझ में नही आई की जब अनजानी लड़कियों के खरीद फरोख्त की खबरें अगर हम दिखातें है या उनके बारे में लिखते हैं तो उसके नाम की जगह काल्पनिक नाम लिखते है चेहरा मोजेक कर के दिखातें है फ़िर रुबीना के साथ ऐसा क्यों नही हुआ। जो पत्रकार वहां स्टिंग करने पहुचे थे उनका चेहरा तो ढका हुआ था और वही इस लड़की का और इसके पिता का चेहरा खुला हुआ था। इससे तो ये ही लग रहा था की ये सब कुछ इन्टेंशनाली किया गया था । भारत में फैली ग़रीबी का मज़ाक उडाने के लिए किया गया था... और इस काम में यहाँ की मीडिया नें भी ऐसे लोगों का भरपूर साथ दिया।
https:// epaper.bhaskar.com/ patna-city/384/01102018/ bihar/1/ मु झसे अगर यह पूछा जाए कि दिनकर की कौन सी कृति ज़्यादा पसंद है तो मैं उर्वशी ही कहूँ गी। हुंकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी जैसी कृति को शब्दबद्ध करने वाले रचनाकार द्वारा उर्वशी जैसी कोमल भावों वाली रचना करना, उन्हें बेहद ख़ास बनाती है। ये कहानी पुरुरवा और उर्वशी की है। जिसे दिनकर ने काव्य नाटक का रूप दिया है, मेरी नज़र में वह उनकी अद्भुत कृति है, जिसमें उन्होंने प्रेम, काम, अध्यात्म जैसे विषय पर अपनी लेखनी चलाई और वीर रस से इतर श्रृंगारिकता, करुणा को केंद्र में रख कर लिखा। इस काव्य नाटक में कई जगह वह प्रेम को अलग तरीके से परिभाषित भी करने की कोशिश करते हैं जैसे वह लिखते हैं - "प्रथम प्रेम जितना पवित्र हो, पर , केवल आधा है; मन हो एक, किन्तु, इस लय से तन को क्या मिलता है? केवल अंतर्दाह, मात्र वेदना अतृप्ति, ललक की ; दो निधि अंतःक्षुब्ध, किन्तु, संत्रस्त सदा इस भय से , बाँध तोड़ मिलते ही व्रत की विभा चली जाएगी; अच्छा है, मन जले, किन्तु, तन पर तो दाग़ नहीं है।" उर्वशी और पुरुरवा की कथा का सब
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