सर्द सुबह जब धूप भी धुंध की चादर में छिपी रहती है - जब दूर तलक सफ़ेद सन्नाटा पसरा होता है - अक्सर कुछ धुंधली आकृतियाँ बनती हैं फिर लुप्त हो जाती हैं कोहरे में कहीं - तब अपने वजूद को बचाये रखने के लिए संघर्ष करती सहमी चिड़िया धुंध छंटने के इंतज़ार में एक - एक पल ऐसे गुजारती है जैसे बीत रही हों कई सदियाँ। © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं ---- ‘नूर’