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Showing posts from November 16, 2008

खामोशी और अँधेरा, फ़िर भी एक नया सवेरा

ईश्वर ने हम सबको सामान्य बनाया तब भी हम हमेशा किसी न किसी परेशानी को लेकर दुखी रहते हैं। हमें ऐसा लगता है की हमारी परेशानी से बढ़कर कोई परेशानी नही है। ईश्वर ने सारे दुःख हमारी झोली में डाल दिए हैं। पर उन लोगों का क्या जिसे प्रकृति ने असामान्यता दे दी। बीते दिनों कुछ ऐसे ही लोगों से मिलने का मौका मिला। कुछ तो दिखने में इतने समान्य और सुंदर थे की उन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता की वो सुन और बोल नहीं सकते। मुझे आश्चर्य और खुशी ये देखकर हुई की कुछ कंपनियों ने ऐसे ख़ास लोगों को अपने यहाँ काम दिया है, और ये लोग समान्य से बेहतर पर्फोमांस दे रहे हैं। इनमे सिखने की ललक औरों से ज़्यादा है। इनमे कुछ कलाकार हैं तो कुछ खिलाड़ी लेकिन अपनी बातों को लोगों के सामने नही रख पाने के कारन ये गुमनामी के अंधेरे में खो गए। इन में से हर एक के परिवार की एक अलग ही कहानी है। एक लड़का, जिसकी माँ मानसिक रोगी, पिता मूक - बधिर, पत्नी भी मूक - बधिर..... अब वो पिता बनने वाला है । उसे डर है की कहीं उसका होने वाला बच्चा भी मूक - बधिर ना हो जाए। एक और परिवार जहाँ माता - पिता और बेटा मूक - बधिर हैं लेकिन बेटे की पत्नी समान्य