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Showing posts from November 11, 2018

बिहार का अर्थ ही होता है छठ

उस दिन का इंतज़ार कर रही जब साड़ी-चूड़ी पहनने... हाथ जोड़कर नमस्कार करने, इन्हें भी गुलामी और अंधविश्वास का प्रतीक माना जाएगा।  जो हिन्दू आस्था के खिलाफ जितना घटिया बोलेगा/लिखेगा वह सर्वाधिक बुद्धिसंपन्न माना जाएगा।  'हिन्दू आस्था' जी हाँ...क्योंकि सिन्दूर पर शुरू हुई चर्चा आँचल पसारने और इकहरी सूती साड़ी पहनकर पानी में भीगने और अंग प्रदर्शन तक पहुँच गई।  समझ नहीं आता कि इन महान लोगों की  ऐसी तार्किक और क्रांतिकारी सोच 'छठ पूजा' दौरान ही क्यों उमड़-उमड़ कर बाहर आती है।  कभी तो ये लगता  है कि इन्हें भी पता है कि इनकी लोकप्रियता उसी क्षेत्र के लोगों से है जिन्हें ये अनपढ़, अंधविश्वासी और भी न जाने किस-किस उपमा से सम्बोधित करती रहती हैं, और इस क्षेत्र के लोग उनकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ते रहते हैं। यह सवाल भी मन में उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी 'बिहारी' ने इन्हें कुछ व्यक्तिगत क्षति पहुंचाई हो?  जिस छठ को लेकर हर बार ये लोग हाय तौबा मचाते हैं, जिसके हर विधि-विधान  पर इन्हें समस्या है, मुझे लगता है कि शायद इन्हें कभी मौक़ा नहीं मिला कि वे इसके साक्षी भी बने