Skip to main content

Posts

Showing posts from March 5, 2017

महिला दिवस और एक सशक्त महिला

महिला दिवस पर कार्यक्रमों, संदेशों, कविताओं की झड़ी लग गई है। सारे लोग अपने अपने तरीकों से महिलाओं को सशक्त करने/होने की बात कर रहे। महिला दि वस पर स्री सशक्तिकरण का जितना भी राग अलापें लेकिन ये सच है कि एक सशक्त महिला सबकी आँखों का काँटा होती है। जब वो अपने बलबूते आगे बढ़ती है, उसे कदम दर कदम अपने चरित्र को लेकर अग्नि परीक्षा देनी होती है। अगर वो सिंगल/अनब्याही है, तो हर रोज़ उसे लोगों की स्कैनर दृष्टि से गुज़रना पड़ता है। अक्सर पुरुषों की दृष्टि उसमें अपने ऑप्शन्स तलाशती रहती हैं। उम्र, जाति, खानदान यहां तक कि उनके सेक्सुअल अभिरुचि पर भी सवाल किये जाते हैं।  एकबार एक बहुत ही वरिष्ठ व्यक्ति, जो दिल्ली  में वरिष्ठ पत्रकार है, ने पूछा था, “तुमने शादी नहीं की? अकेली रहती हो या लिव इन में ? तुम्हारा पार्टनर कौन है? “ मतलब ये कि “एक महिला अकेले रहती है, कमाती है, खाती है “  ये बात किसी से हजम नहीं होती। तीस साल की होने के साथ ही शादी का ठप्पा लगना ज़रूरी हो जाता है, अगर शादी नहीं की और हँसते हुए पूरे उत्साह के साथ  जीवन गुज़ार रही तो लोगों को वैसी महिलाएं संदिग्ध नज़र आने लगती हैं। लोग अक्सर