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Showing posts from December 13, 2015

उदास चाँद

आज चाँद बहुत उदास था, हर ओर पसरी थी , गहरी-डरावनी  अंतहीन रात - सितारों की किरचें चुभती रहीं थीं, होश खोने तक- रूह के ज़ख्म,  कहाँ नज़र आते हैं, बस दे जाते हैं अंतहीन दर्द या, बन जाते हैं नासूर।  © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!