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Showing posts from June 22, 2014

शामें-हिज़्र (त्रिवेणी )

उदास शामें, यादों के आबशार, बेकल आँखें हर आहट पर तेरे आने की मुन्तज़िर मेरी आँखें शामें-हिज़्र ऐसी नाशाद होंगी सोचा न था। © 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित!