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Showing posts from November 23, 2008

मुंबई मेरी जान

चमचमाती रोशनी से नहाई मुंबई की रात और नगर की पहचान भव्य ताज कई ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह लेकिन, बुधवार की काली रात देखते ही देखते छा गया तबाही का मंज़र मुठी भर दहशतगर्दों के हाथों में थी सैकडों लोगों की जान ग्रेनेड के धमाकों और गोलियों की आवाजों ने त ोडी रात की चुप्पी देखते ही देखते आग और धुएँ में नहाई थी मुंबई की भव्यता देश की आर्थिक राजधानी डूब गई अंधेरे में.

डायरी के पन्नो से

चंदा बादलों के पीछे से छिपकर आता है चंदा, किसी सुन्दरी के माथे पर लगी गोल बिंदिया सा चमचमाता है चंदा। कभी यहाँ और कभी वहां जगह बदलता जाता है चंदा। कभी कभी इस विशाल आसमान में घर भी भटक जाता है चन्दा । कभी मंदिरों के पीछे, तो कभी दरख्तों के ऊपर कभी बादलों के पीछे, तो कभी अटारी पर पहुँच जाता है चंदा। (ये कविता जब मैं नौवी कक्षा में थी तब लिखी थी। ) आह्वान हे देश के युवा भविष्य निर्माता है अगर ताक़त तुममे है अगर तुम्हारी शिक्षा में बल तो बढ़ो आगे और उखाड़ फेंको इस अशिक्षा रूपी ठूंठ को जिससे मिलता नहीं किसी व्यक्ति को सहारा और लगा दो वहां शिक्षा के हरे भरे पेड़ इन्हे सिचने के लिए तुम्हारा प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के लिए दृढ़ संकल्प होना ही काफ़ी है। हे वीरों, देश के युवाओं तो चलो हम सब मिलकर देश से तिमिर का अंत कर उजाला फैलाएं और देश को शिक्षित बनाएं। ( ये कविता जब मै दसवीं बोर्ड पास करने के बाद लिखी । )