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Showing posts from April 20, 2008

तुम कहो

वो शाम याद करो जब मैं हार कर रो रही थी। तुमने कहा था उठो, लडो और आगे बढ़ो मैं लड़ी और आगे बढ़ी तुमने कहा और आगे बढ़ो मैं और आगे बढ़ी मैं आगे बढ़ती गई और अब तुम कह रहो हो वापस आ जाओ क्या सम्भव है वापस आ पाना।